इस पुस्तक में राजेश चन्द्रा ने संस्मरणों के रूप में उन यादगार पलों का जिक्र किया है जो उन्हें अमृता प्रीतम के संग जिए हैं। ये संस्मरण एक महान लेखक के संग उनके प्रशंसक की श्रद्धांजलि है। इसमें अमृता प्रीतम के जीवन के कुछ ऐसे अनछुए प्रसंग हैं जो केवल लेखक की कलम से ही उकेरे गए हैं एवं साहित्य की धरोहर बन गए हैं। यह पुस्तक साहित्य जगत में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है। कमलेश्वर ने इस पुस्तक को पढ़कर कहा था कि यह हमारी खुशनसीबी है कि मैं अमृता प्रीतम के दौर में साँस ले रहा हूँ।
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