यह पुस्तक ‘फिर भी’ नामक फ़िल्म की पटकथा है। इसमें प्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर ने दो स्त्रियॉं की हृदयस्पर्शी कहानी प्रस्तुत की है। यह फ़िल्म अपनी नवीनता मौलिकता और प्रभावपूर्ण प्रस्तुतीकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई थी। यह माँ और बेटी की ऐसी मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें माँ अपने को बेटी और बेटी अपने को माँ की भूमिका में पाती है। पुरुष के नाम पर मृत पापा बेटी की कल्पना में किसी पुरुष के लिए स्थान नहीं छोड़ता और माँ है कि उसे अपने पति की स्मृति के बावजूद पुरुष का सहारा चाहिए।
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