कौन है केदार? एक विलेन जो वीणा को हासिल करना चाहता है? या एक रक्षक जो वीणा के पिता के गायब होने पर न जाने कहां से उसे और उसके परिवार को सहारा देने चला आया है? क्या वीणा के लिए वह भाई है? या फिर प्रेमी? क्या है केदार? साधु? या पापी? या सिर्फ़ एक आम इंसान जो केवल वही कर रहा है जो उसके भाग्य में काली स्याही से लिख दिया गया है? । दिल को छू लेने वाली ये कहानी है नौजवान घड़ीसाज़ केदार की जिसे एकतरफ़ा प्रेम है वीणा से। 1930 में पंजाब के अमृतसर और रावलपिंडी के बाज़ारों की तंग गलियों में रची-बसी यह कहानी पन्ना लाल के परिवार की मुसीबतों के इर्द-गिर्द घूमती है और फिर केदार उनके जीवन में आता है और उन्हें भावनाओं के भंवर में उलझा देता है। केदार की यह दुविधा भले ही अंतहीन हो पर सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं से पार यह हमारी-आपकी दुविधा भी हो सकती है। नानक सिंह द्वारा रचित इस उपन्यास में सामाजिक परिवेश के ताने-बाने में बुनी हुई प्रेम और कर्तव्य की इसी कशमकश को दर्शाया गया है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.