‘इस किताब को पढ़कर इस देश के आम आदमी के संघर्ष का पूरा सफर आंखों के सामने आ गया। एक प्रेम कहानी को पिछले तीन साल के सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन की पृष्ठभूमि में बड़ी खूबसूरती से पिरोया गया है। यह किताब देश की युवा पीढ़ी के मन में चल रहे बदलाव की बेचैनियों के सफर को बयान करती है...’ अरविंद केजरीवाल ये कहानी है जीवित और रानू की मुहब्बत की और उतनी ही ये कहानी है आज के परिवेश की। ये आईना है बदलती दिल्ली का-जो गवाह है एक नई सोच एक नई उर्जा और एक नई राजनीति के उदय का। ये आप की भी कहानी है-दिल्ली के गली कूचों से होता इसका असर देश की सोच जनतंत्र से लोगों की अपेक्षाओं और पुराने ढर्रे पर चल रही राजनीति और राजनेताओं को मिल रही चुनौती का भी सफर तय करती है। यह उपन्यास राजनीतिक हलचलों की सिर्फ बाहरी दास्तान भर नहीं है बल्कि यह आंदोलन की अंदरूनी गतिविधियों से रू ब रू होने का मौका भी देता है। जीवित और रानू जैसे जैसे अपने रिश्ते में आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे वे क्रांतिकारी बदलाब के साक्षी और सहयात्री भी बनते है-अन्ना अनशन अरविंद से होती हुई आप की इस यात्रा पर आइए निकल पड़ें।
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