अपनी दूसरी पत्नी की मृत्यु के बाद शैलेश अपनी पहली पत्नी को वापस अपने घर लाना चाहता है जिसके साथ उसकी शादी अट्ठारह साल की उम्र में हुई थी। जब वह अपनी शिक्षा के लिए विदेश गया तो उसके पिता ने उसकी पत्नी को उसके मायके वापस भेज दिया।चूँकि वह भूपेंद्र बाबू की बेटी से शादी करना चाहता था इसलिए उसके दोस्त उसकी खिंचाई करते थे कि उसे अपनी पहली पत्नी को वापस ले लेना चाहिए। परेशान होकर वह उसे बुलाता है। उषा वापस आती है और अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाती है।हालाँकि शैलेश के बेटे सोमेंद्र के पालन-पोषण को लेकर वह शैलेश की छोटी बहन विभा से नाराज़ हो जाती है। विभा के पति क्षेत्रमोहन और ननद दोनों ही उसका समर्थन करते हैं।उषा के चले जाने के बाद शैलेश साधुओं की संगति में चला जाता है। इससे उसकी बहन परेशान हो जाती है। अंततः उषा पुनः लौटती है और सारा आतंक समाप्त कर देती है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.