मुल्कराज आनन्द का यह एक चर्चित उपन्यास है। इसमें एमए पास एक युवक की कहानी है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी यदि बेरोजगार रहे तो इससे बड़ा कलंक और क्या माना जा सकता है। आज के युवकों की सफलता न मिलने पर निराशा और हताशा को इस उपन्यास में सजीव रूप से चित्रित किया गया है। हिमांशु जोशी के अनुसार समाज ही नहीं संस्कारों में भी बदलाव की वकालत करने वाली यह एकमात्र पुस्तक है।
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