कहते हैं जहां न जाए रवि वहां जाए कवि। ऐसा ही प्रयास किया है लेखिका ने लेकिन कल्पना के सहारे नहीं सशरीर। ये रोमांचक विवरण सहसा ही कभी सूरीनाम कभी काजीरंगा तो कभी केरल के वर्षावनों अभयारण्यों में ले जाता है तो कभी समंदर की नीली लहरें आकर पांव भिगो जाती हैं अगले ही पल हिरोशिमा की त्रासदी देख कर आंखें नम हो जाती हैं।
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