प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई। 'चिंता' से प्रारंभ कर 'आनंद' तक 15 सर्गों के इस महाकाव्य में मानव मन की विविध अंतर्वृत्तियों का क्रमिक उन्मीलन बड़े ही कौशल से किया गया है।. About the Author जयशंकर प्रसाद हिन्दी के प्रख्यात कवि नाटककार कहानीकार उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने कविता कहानी नाटक आदि विधाओं में जमकर लिखा और उत्कृष्ट पुस्तकें हिन्दी साहित्य को दी।.
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