Jago Mere Parth/जागो मेरे पार्थ
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राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी वर्तमान युग के महान जीवनद्रष्टा संत हैं। उनका जीवन प्रेम प्रज्ञा सरलता और साधना से ओतप्रोत है। वे न केवल मिठास भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं वरन् अपने जीवन में भी मिठास और माधुर्य घोले रखते हैं। वे आम इंसान के बहुत करीब हैं। उनके द्वार सबके लिए खुले हुए हैं। उनके पास बैठकर व्यक्ति को जो अनुपम आनंद ज्ञान और सुकून मिलता है वह उसे आजीवन भुला नहीं पाता है। सतत चिंतन में निमग्न तथा मानव मात्र के समग्र कल्याण के लिए प्रयत्नशील विद्वान संन्यासी श्री चन्द्रप्रभ सरस वाणी द्वारा जिस ज्ञान-धारा का प्रवाह करते हैं उसकी जीवंत प्रस्तुति है जागो मेरे पार्थ। यह गीता पर दिए गए उनके अठारह आध्यात्मिक प्रवचनों का अनूठा संकलन है जो भारतीय जीवन-दृष्टि को रेखांकित करता है। इस ग्रन्थ को पढ़कर हरेक के मन में विजय का विश्वास जागता है और हर कोई पुरुर्षा्थ की भावना से भर उठता है। श्री चन्द्रप्रभ के शब्दों में ‘गीता संसार का वह गौरीशंकर है जिसने शताब्दियों तक मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत और अपनी आत्म-विजय के लिए सन्नद्ध रहने की प्रेरणा दी है इसलिए गीता का मार्ग योद्धाओं का मार्ग है।’ श्री चन्द्रप्रभ के इन रससिक्त प्रवचनों को यदि अंतर्मन में उतार लें तो निश्चय ही उद्धार हो जाएगा।
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