गुलबदन हिन्दू थी या मुसलमान यह कोई नहीं जानता परंतु उन्हीं में से कोई थी। वह नटिनी की बेटी थी - रूपाजीवा जिसका कोई धर्म नहीं होता। मुगल काल के पतन की व्यापक पृष्ठभूमि पर ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार ताराशंकर वन्धोपाध्याय ने तत्कालीन समाज का अत्यंत भव्य चित्र उपस्थित किया है जो लेखक की विलक्षण शैली का परिचायक है|
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