यह उपन्यास आस्था युद्ध...पितृत्व सहोदरों के बीच रंजिश और प्यार के बारे में गहराई से विचार करता है'-टाइम्स लिटररी सप्लीमेंटसाफ़गो भावुक और ज़िद्दी माया हक़ की अपने भाई सुहैल से लगभग एक दशक से अनबन है। मेल-मिलाप की उम्मीद लिए अपने घर ढाका लौटने पर वह पाती है कि सुहैल इतना बदल गया है कि उसे पहचान पाना मुश्किल है। युद्ध के जख्म लिए इन दोनों भाई-बहनों में क्या फिर से मेल हो पाएगा और सुहैल के बेटे जैद का क्या होगा जो दो दुनियाओं में फंसा हुआ है लेकिन उनसे जुड़ने को बेकरार है? एक सच्चा मुसलमान (द गुड मुस्लिम) आस्था परिवार और युद्ध केलंबे साए का बेमिसाल उपन्यास है।'हाल के बरसों में सबसे दिलचस्प और बेचैन कर देने वाले बांग्लादेशी उपन्यासों में से एक'-बिजनेस स्टैंडर्ड'उत्कृष्ट...यह उपन्यास पुष्टि करता है कि तहमीमा अनम हमारे सबसे अहम उपन्यासकारों में एक हैं'-संडे टेलीग्राफ़
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