अनीता ''एक थी अनीता’ उपन्यास की नायिका है जिसके पैरों के सामने कोई रास्ता नहीं लेकिन वह चल देती हैं—कोई आवाज़ है न जाने कहां से उठतीं है और उसे बुलाती है। अपने इस उपन्यास के बारे में अमृता प्रीतम ने स्वयं लिखा है कि सुना है कि उम्र के कागज पर इश्क ने दस्तखत किए हैं और टहनियों के घर में कुछ फूल मेहमान हुए हैं। प्रेम की परिभाषा में डूबी इस उपन्यास की कहानी शाश्वत प्रेम का अहसास हरेक पाठक को कराती है।.
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