Dhyanyog/ध्यानयोग
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राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी वर्तमान युग के महान जीवनद्रष्टा संत हैं। उनका जीवन प्रेम प्रज्ञा सरलता और साधना से ओतप्रोत है। वे न केवल मिठास भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं वरन् अपने जीवन में भी मिठास और माधुर्य घोले रखते हैं। वे आम इंसान के बहुत करीब हैं। उनके द्वार सबके लिए खुले हुए हैं। उनके पास बैठकर व्यक्ति को जो अनुपम आनंद ज्ञान और सुकून मिलता है वह उसे आजीवन भुला नहीं पाता है। व्यक्ति के आंतरिक स्वास्थ्य शांति और आनन्द के लिए योगासन प्राणायाम और ध्यान अमृत के समान है। साधारण मनुष्य के लिए योग थोड़़ा कठिन है पर निरंतर अभ्यास से योग स्वतः सध जाता है। ध्यान योग अंतर्मन की शांति और अतीन्द्रिय शक्तियों की ओर ले जाने वाला प्रवेश द्वार है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अभ्यास है जिसे व्यक्ति र्धै्य और शांतिर्पू्वक बैठकर अपने आप के साथ किया करता है। ध्यान धरना अर्थात अंतर्मन में उतरकर शांति और आनंद की बांसुरी बजाना है। मन की शांति और स्थिरता का नाम ही ध्यान है। कभी ध्यान साधु-संन्यासी या योगी ही किया करते थे लेकिन आज के तनाव भरे जीवन में सुख-शांति के लिए यह सबके लिए अनिर्वा्य-सा बन पड़़ा है। यदि आप बेहतर स्वास्थ्य मानसिक शांति और आत्मविश्वास भरी ज़िंदगी को प्राप्त करना चाहते हैं तो श्री चन्द्रप्रभ जी की यह पुस्तक आपके लिए वरदान साबित हो सकती है।
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