यह ऐतिहासिक उपन्यास आठवीं सदी के भौमकर राजवंश की एक कहानी है। यह एक विराट आख्यान है जिसमें बौद्ध धर्म का उसकी ऊँचाइयों को छूना उसकी साधना एवं परंपरा तथा उसे मिल रहा राज्याश्रय और उसका क्षरण सभी शामिल है।उड़िया से हिंदी में अनुदित चरु चीवर और र्चया एक क्लासिक श्रेणी का उपन्यास है जिसके मूल उड़िया संस्करण को उड़िशा में प्रतिष्ठित सरला पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
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