सामाजिक प्राणी किसे कहते हैं? उसे नहीं जो समाज के नीति नियमों के अनुसार चले बल्कि जो समाज को ही बदल डाले वही प्राणी विशिष्ट होता है। गाँव में जहां व्यक्ति का समाज के अनुसार चलना जरूरी है वहीं शहर में व्यक्ति समाज को अपने सिद्धांतों के अनुसार बनाना चाहता है और इस पुस्तक की कहानी गांव और शहर दोनो समाज में रहने वाले लोगों की सोच के ईर्द गिर्द घूमती है।.
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